Success Story: बेटे की खातिर के लिए मां ने बेच दिए गहने; अब विदेश में करेगा पूरी पढ़ाई

Success Story: आज हम आपको एक ऐसे लड़के की सफलता की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसने अपनी इस जर्नी में बहुत सी बाधाओं का सामना किया है। हम जिस लड़के की बात कर रहे हैं उसका नाम वैभव है। वैभव को शेवेनिंग छात्रवृत्ति के अलावा ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय और लीड्स विश्वविद्यालय के लिए राष्ट्रमंडल साझा की स्कॉलरशिप मिली है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि गरीबी भगवान किसी को न दे, अगर दे भी तो खुशियों के साथ दे। साथ में ये भी कहा जाता है कि गरीबी बड़े से बड़े टैलेंट को नष्ट कर देती है, वहीं अगर आपकी मेहनत औन जूनून आपके साथ है तो गरीबी आपकी बाधा कभी नहीं बन सकती है। ऐसी ही कहानी एक छोटे से गांव से निकले वैभव की है।
इस लड़के ने यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा वित्त पोषित शेवेनिंग छात्रवृत्ति और राष्ट्रमंडल साझा छात्रवृत्ति को अपने नाम किया है। अब वैभव पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं। आपको हैरानी होगी कि वैभव किसी बड़े घर का बेटा नहीं है बल्कि यह दिहाड़ी मजदूरी करने वाले माता-पिता का बेटा है।
यहां से पूरी की पढ़ाई
वैभव ने अपने सिनियर सेकेंडरी की परीक्षा सरकारी आवासीय विद्यालय से कंपलीट की थी। हैरानी वात तो ये है कि अनुसूचित जाति से सोनोने अपने परिवार में कॉलेज जाने वाला पहला बच्चा है।
परिवार की बात करें तो सारे सदस्य निर्माण श्रमिक हैं, जो महाराष्ट्र के वाशिम जिले के छोटे से गांव के निवासी है। मिली जानकारी के मुताबिक विदेश में अध्ययन के लिए आवेदन प्रक्रिया के लिए उन्हें एकलव्य फाउंडेशन के ग्लोबल स्कॉलर प्रोग्राम द्वारा ही स्पोन्सर किया था।
Gold Price: गणेश चतुर्थी पर सरकार देगी बड़ा तोहफा; सोना के भाव में होगी बंपर गिरावट
लीड्स विश्वविद्यालय में मिला दाखिला
हैरानी वाली बात तो ये है कि अब वैभव अपनी पढ़ाई लीड्स विश्वविद्यालय से पूरी की जा रही है। 2023 में सोनोन ने यूनाइटेड किंगडम सरकार द्वारा वित्त पोषित शेवेनिंग छात्रवृत्ति और राष्ट्रमंडल साझा छात्रवृत्ति को अपने नाम किया है।
उन्होंने लीड्स विश्वविद्यालय में पर्यावरण और विकास में MSC करने के लिए चयनित किया है। उन्होंने तैयारी कर रहे बच्चों को मोटिवेशन दिया है कि शिक्षा एक ऐसी चीज है जो किसी भी स्थिति को बदल सकती है, इसके जिनता करीब जा सकते हैं उतना जाना चाहिए।
नदी को पैदल पार कर जाते थे स्कूल
वैभव ने अपनी कक्षा 4 की शिक्षा सोनोने ने गांव के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय से ही की थी। वहां से निकलकर उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उन्हें दूसरे सरकारी स्कूल में स्थानांतरित किया गया। सबसे मुश्किल का काम तो ये था कि उनका स्कूल घर से 6 किलोमीटर दूर था। उन्हें अपने स्कूल जाने में बहुत मुश्किलें होती थी क्योंकि उन्हें यह रास्ता नदी को पार कर तय करना पड़ता था। कई बार तो बारिश की वजह से रास्त ही बंद हो जाता था।
कक्षा 10वीं में किया टॉप
वैभव का मन पढ़ाई में बचपन से ही था। विद्यालय की ओर से उन्हें पुस्तकालय की चाबियां भी दी गईं और उन्हें इस बात की छूट दी गई थी कि वह पुस्तकालय से कोई भी किताब ले सकते थे। कक्षा 10वीं में 66 फीसदी नंबरों के साथ वैभव ने पहला स्थान हासिल किया था।
बेटे को पढ़ाने के लिए मां ने बेचे गहने
12वीं की पढ़ाई जैसे ही पूरी हुई तो वह 2000 रुपये उधार लेकर पुणे गए। वहीं उन्होंने कॉलेज में दाखिला लेने का फैसला लिया। अंत में फर्ग्यूसन कॉलेज में बीए राजनीति विज्ञान में दाखिला लिया। बता दें कि कुछ दिनों तक दूर की मौसी के घर रहने के बाद, वह कॉलेज हॉस्टल में रहने लग गए। इसके खर्चे के लिए वैभव की मां ने अपने सारे गहने बेच दिए थे। अब आप सोच सकते हैं कि उनकी जर्नी में उन्हें कितनी समस्या आई थी। फिलहाल अब वैभव विदेश में जाकर पढ़ाई करने जा रहे हैं।
Mushroom Farming: सफेद रंग की इस सब्जी की खेती पर सरकार दे रही है 10 लाख की सब्सिडी, ऐसे उठाएं लाभ