Pulses Rate Hike: दालों के दाम में आई तेजी, मानसून ने बिगाड़ा मंडियों का माहौल
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Pulses Rate Hike: बेमौसम बारिश (Monsoon Rain) ने फसलों को काफी ज्यादा नुकसान किया है। वहीं बुआई के समय बारिश न होने की वजह से फसलों का उत्पादन कम होता दिखाई दे रहा है। एक रिपोर्ट ने ये साफ कर दिया है फसलों की बुवाई का रकबा 8.58% घटकर 119.91 लाख हेक्टेयर के पास पहुंच गया है।
देश में मानसूनी बारिश (Monsoon Rain) न होने की वजह से मौजूदा खरीफ मौसम (Kharif Season) की फसलों में तेजी देखने को मिली है। वहीं, दलहनी फसलों (Pulses Sowing) की बुवाई का रकबा भी कम हुआ है। ऐसे में ये आंकड़े देश के कृषि विभाग को परेशानी में डाल रहे हैं।
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इस समय होती है खरीफ फसल की बुवाई
खरीफ फसलों (Kharif Crops) की बुवाई दक्षिण-पश्चिमी ग्रीष्मकालीन मानसून (Monsoon) के शुरु में ही की जाती है। दलहन (Pulses), तिलहन (Oilseeds), कपास (Cotton) और गन्ने (Sugarcane) के साथ-साथ धान (Paddy) भी खरीफ की ही फसल है। ये फसलें कम लागत में किसान को ज्यादा लाभ देती है।
देश के इन राज्यों में घटा रकबा
MP का रकबा
देखा जाए तो MP को ही दलहन का केंद्र माना जाता है। वहीं चालू खरीफ की फसल के बुवाई के आंकड़े सामने आ रहे हैं, कहा जा रहा है कि 8 सितंबर तक धान की बुवाई (Paddy Sowing) का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 403.41 लाख हेक्टेयर के पास पहुंच गया है।
वहीं साल पहले की अवधि में यह 392.81 लाख हेक्टेयर ही था। कुल मिलाकर ये साफ हो गया है कि दलहन का रकबा बिल्कुल कम हो गया है। कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी इसका रकबा कम हुआ है।
मध्य प्रदेश का रकबा
जी हां, खरीफ मौसम (Kharif Season) में सितंबर तक दलहन का रकबा 19.72 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 23.44 लाख हेक्टेयर के पास था। अब आप देख सकते हैं कि इसके रकबे में कितनी गिरावट हुई है।
कर्नाटक का रकबा
दलहन का रकबा 16.70 लाख हेक्टेयर है, जो साल 2022 में 20.07 लाख हेक्टेयर था।
महाराष्ट्र का रकबा
दलहन का रकबा 18.89 लाख हेक्टेयर से घटकर 16.15 लाख हेक्टेयर के पास आ पहुंचा है।
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इस राज्य में बढ़ा रकबा
वहीं सभी राज्यों में दलहन का रकबा कम होता दिखाई दे रहा है तो वह एक राज्य ऐसा है जहां वृद्धि हुई है। जी हां राजस्थान में दलहन का रकबा बढ़कर 35.30 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 33.99 लाख हेक्टेयर के पास था।
बारिश के इस कमी की वजह
मौसम विभाग ने रिपोर्ट जारी कर बताया है कि बारिश न होने की वजह से ही इस रकबे में कमी देखने को मिली है। मौजूदा खरीफ मौसम में 8 सितंबर तक तुअर (Tur) का रकबा घटकर 42.92 लाख हेक्टेयर के पास आ पहुंचा है। जो साल 2022 में 45.61 लाख हेक्टेयर था।
उड़द (Urad) का रकबा
यह घटकर 31.89 लाख हेक्टेयर रहा, जो 2022 में 37.08 लाख हेक्टेयर के पास था।
कुलथी (Kulthi) का रकबा
अब- 31,000 हेक्टेयर रहा, जबकि अन्य दालों का रकबा 13.68 लाख हेक्टेयर है।
इस रकबा में कमी आने की वजह बारिश की कमी को ही बताया जा रहा है। मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, 1 जून से 6 सितंबर के बीच के बारिश बहुत कम हुई है। जिसका असर खरीफ फसल बुवाई पर देखने को मिला है।
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